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लेखनी कहानी -10-Jan-2023 मुहावरों पर आधारित कहानियां

26. पद्म विभूषण 


इस कहानी में "अंधे की लकड़ी" मुहावरे का प्रयोग किया गया है । 

"भैया जी" गणतंत्र दिवस की तैयारियों में व्यस्त थे । "कार्यक्रम शानदार होना चाहिए तभी तो खुद की और पार्टी की इमेज चमकेगी । पिछले छ सात सालों से न जाने किसकी नजर लग गई है पार्टी को कि 2014 में "पंच रत्न" चुनकर आये थे और 2019 में भी "पंच रत्न" ही चुनकर आये थे" । भैया जी का मुंह लटक गया था । 2022 ने तो कबाड़ा ही कर दिया था । भैया जी ने तो एक नया "जोधपुरी सूट" तैयार करवा लिया था मुख्य मंत्री पद की शपथ लेने के लिये । मगर होनी को तो कुछ और ही मंजूर था , अपना सा मुंह लेकर बैठ गए । सब मजा किरकिरा हो गया । अब 2024 में भी कहीं ऐसी तैसी ना हो जाये इसलिए वे अभी से मेहनत करने में लग गये थे । सभी कार्यकर्ताओं को निर्देशित कर दिया था कि ग्राम स्तर पर गणतंत्र दिवस मनाना है जिसमें अधिकतम लोगों को बुलाना है और उन्हें पार्टी से जोड़ना है । इस तरह वे अपनी पार्टी का विस्तार करना चाहते थे । वे स्वयं भी लखनऊ में पार्टी कार्यालय पर झंडारोहण करने वाले थे । आखिर अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जो हैं वे । राज्य की राजधानी में कार्यक्रम करेंगे तो मीडिया में भी आने का मौका मिलेगा । 

इतने में एक "चमचा" दौड़ा दौड़ा आया और हांफते हांफते बोला "भैया जी भैया जी, बधाई हो" 
भैया जी चौंक पड़े । अब ये किस चीज की बधाई दे रहा है ? अब तो बच्चों का कोटा भी पूरा हो चुका था इसलिए "खुशखबरी" वाली बधाई तो हो नहीं सकती थी वह । " बधाई किस बात की बे" ? भैया जी चिल्ला पड़े । 
"अपने नेताजी को सरकार ने 'पद्म विभूषण' पुरस्कार देने की घोषणा की है, इसी शुभ समाचार की बधाई दे रहा था आपको भैया जी" चमचे ने विस्फोट करते हुए कहा । 

इस समाचार को सुनकर भैया जी को सांप सूंघ गया । वे जहां खड़े थे वहीं जड़वत हो गये । इस पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करें, कुछ भी नहीं सूझा उन्हें । उन्हें यह भी पता नहीं चल पा रहा था कि यह समाचार शुभ है या अशुभ । इस पर खुशी व्यक्त करें या अपना सिर कूट लें ? "नेताजी" अर्थात उनके पिताजी को सरकार ने 'पद्म विभूषण' पुरस्कार से सम्मानित किया है , वो भी मरणोपरांत । अब सोचने की बात यह है कि सरकार ने नेताजी को अभी ही यह पुरस्कार क्यों दिया ? उनके जीते जी क्यों नहीं दिया ? क्या सरकार की इसमें कोई चाल है ? सरकार नेताजी को वास्तव में सम्मानित करना चाहती है या इसमें कोई षड्यंत्र है ? भैया जी का दिमाग घूमने लगा । 

इतने में पार्टी के थिंक टैंक के नाम से मशहूर चतुर सुजान बोल पड़े "भैया जी, ये तो गड़बड़ है । सरकार का षडयंत्र जान पड़ता है ये । हमारी पार्टी तो हमेशा ही सरकार को कोसती रहती हैं , गाली देती रहती है फिर भी सरकार ने पद्म विभूषण पुरस्कार नेताजी को दिया है , यह आश्चर्य जनक है और हमें यह उसकी सोची समझी चाल लगती है" । 

भैया जी चतुर सुजान की बात ध्यान से सुन रहे थे और उसमें षडयंत्र ढूंढ रहे थे । मगर षडयंत्र कहीं दिखाई नहीं दे रहा था । मगर वे चतुर सुजान की बातों को भी इग्नोर नहीं कर सकते थे । भैया जी अच्छी तरह जानते थे कि सरकार का मुखिया कोई साधारण आदमी नहीं है, बहुत ही घाघ आदमी है । 
"नेताजी ने ऐसा कोई काम तो किया नहीं जो उन्हें पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया जाये । उन्होंने तो कारसेवकों पर गोली चलवाई थी । अलग प्रदेश की मांग पर अबलाओं का चीर हरण करवाया था और उनका बलात्कार करने का प्रयास भी किया गया था । विधान सभा को उन्होंने अपनी पहलवानी का अखाड़ा बना दिया था और माइक , टेबल, कुर्सी वगैरह को अस्त्रों के रूप में खूब प्रयोग किया था उन्होंने । यहां तक कि अपनी विपक्षी नेत्री का गेस्ट हाउस में चीरहरण करने का पूरा प्रयास किया था मगर वह बचकर भाग गई थी । उन्होंने तो आतंकवादियों से केस तक वापस ले लिये थे मगर हाईकोर्ट के अड़ियल रुख के कारण ऐसा हो नहीं पाया था । लड़कियों के बलात्कार होने पर वे कहा करते थे कि लड़कों से गलतियां हो जाया करती हैं । तो ऐसे "गुणी" नेताजी को ऐंवई तो पद्म विभूषण नहीं दिया होगा ? कोई तो बात होगी जो सरकार के विरोधी होते हुए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया है । यह सोचने की बात है" चतुर सुजान ने अपनी विद्वता का पिटारा खोलते हुए कहा । 

भैया जी को अब षडयंत्र साफ साफ दिखाई देने लग गया । उसके खाते में है ही क्या ? उसके पिता द्वारा बनाये गये "वोट बैंक" के अलावा और कुछ है नहीं उसके पास । इस वोट बैंक में भैया जी कुछ भी जोड़ नहीं पाये । यद्यपि उन्होंने उलटबांसियां खूब खेली । कभी "दो लड़के" का मंत्र फूंका तो कभी "बुआ" के पैरों में गिर पड़े । मगर हाय रे दैव ! कुछ भी हाथ नहीं लगा उलटे कुछ जातियां उनकी पार्टी से छिटक कर दूर चली गईं । अब "नेताजी" की विरासत ही तो बची थी भैया जी के पास । वही भैया जी के लिए "अंधे की लकड़ी" थी । अब वह लकड़ी भी छीन लेना चाहता है यह तानाशाह ? यह तो सरासर अन्याय है । श्रीकृष्ण भगवान के वंशजों के वोटों में भी सेंध लगाना चाहती है सरकार । ले देकर ये "वंशज" और "तुष्टीकरण" का वोट बैंक रह गया है । नेताजी एक साम्राज्य बनाकर गये थे मगर अब तो वह साम्राज्य भी छिन्न भिन्न हो चुका है । अब भैया जी को समझ में आ गया कि नेताजी को पद्म विभूषण पुरस्कार देना महज इत्तेफाक नहीं है बल्कि यह एक षड्यंत्र है । 

चमचा इस पुरस्कार से बहुत उत्साहित था इसलिए वह लड्डू ले आया था और सबको लड्डू बांट रहा था । भैया जी की नजर जब लड्डुओं पर पड़ी तो वे बिफर पड़े 
"कौन लाया ये लड्डू ? किसके कहने से लाया है " ? भैया जी के नेत्र अंगारे बरसा रहे थे । भैया जी के इस रौद्र रूप को देखकर सारे चमचे सिहर गये और वहां पर सन्नाटा व्याप्त हो गया । 

भैया जी को जब जवाब नहीं मिला तो वे उखड़ गये और उन्होंने लड्डू वाला डिब्बा लपक लिया और लड्डू बांटने वाले चमचे के मुँह पर उलट दिया । वह चमचा हतप्रभ होकर भैया जी को देखता रह गया । बोलने की हिम्मत तो कभी थी नहीं उसकी , अब तो खड़े रहने की भी हिम्मत नहीं रही इसलिए वह दुम दबाकर भाग खड़ा हुआ । 
"खबरदार जो किसी ने लड्डू बांटे ! ना कोई किसी को बधाई देगा और ना कोई इस बारे में कुछ कहेगा । मीडिया से केवल मैं बात करूंगा या तुम्हारी भौजी बात करेंगी, और कोई नहीं । चलो भागो यहां से " । भैया जी से "नेताजी" का  यह सम्मान न तो निगलते बन रहा था और न ही उगलते । इतने लाचार तो वे तब भी नजर नहीं आ रहे थे जब वे बुआ जी के कदमों में झुक रहे थे । वे वहीं पर रखी एक कुर्सी पर धम्म से गिर पड़े । 

इतने में एक चमचा हाजिर हुआ और डरते डरते बोला 
"भैया जी , कुछ न्यूज चैनल्स वाले आये हैं । कहो तो भगा दूं उन्हें" ? 
भैया जी ने उसे ऐसे देखा जैसे कि वे उसे कच्चा चबा जायेंगे । भैया जी उसके मस्तिष्क के विकास पर मन ही मन हंसे । "इसे कौन बताये कि मीडिया वालों के सामने एक्टिंग करनी पड़ती है । मना करने पर वे कुछ का कुछ छाप सकते हैं । इसलिए उन्हें ढंग से ब्रीफ करना पड़ेगा" । भैया जी ने उस चमचे से कहा 
"जाओ, सभी मीडिया पर्सन्स को इज्जत से लिवा लाओ और उनके लिये बढिया सी खाने और "पीने" की व्यवस्था करो । और हां, वो "सी" कैटेगरी वाले लिफाफे भी लेते आना और एक एक लिफाफा सबको पकड़ा देना" । भैया जी ने अपने चेहरे पर गजब की हंसी ओढ ली थी । चमचा भैया जी के बदले हुए रूप को देखकर दंग रह गया । इतनी बढिया एक्टिंग तो मंझे हुए कलाकार भी नहीं कर सकते हैं जितनी भैया जी कर रहे हैं । 

सभी न्यूज चैनल्स वाले अंदर आ गये । भैया जी ने सबसे मुस्कुरा कर हाथ मिलाया और उन्हें बैठने को कहा । सभी मीडिया पर्सन्स का एक ही प्रश्न था 
"भैया जी, सरकार ने नेताजी को पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है इस पर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या है" ? 
भैया जी कुछ सोचने की एक्टिंग करते हुएबोले "नेताजी का व्यक्तित्व इतना विशाल था कि उन्हें "भारत रत्न" दिया जाना चाहिए था । सरकार ने नेताजी को पद्म विभूषण पुरस्कार देकर सम्मानित नहीं बल्कि अपमानित किया है" । राजनीति में राजनीति का जवाब भी राजनीति से ही दिया जाता है । अब भैया जी के चेहरे पर मुस्कुराहट तैरने लगी थी । 

श्री हरि 
26.1.2023 

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7 Comments

Abhinav ji

27-Jan-2023 09:06 AM

Very nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Jan-2023 11:38 AM

धन्यवाद जी

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Hari Shanker Goyal "Hari"

03-Feb-2023 07:02 PM

💐💐🙏🙏

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Punam verma

27-Jan-2023 08:05 AM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Jan-2023 11:38 AM

धन्यवाद जी

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Gunjan Kamal

26-Jan-2023 11:40 PM

बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Jan-2023 11:38 AM

धन्यवाद जी

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